खुद गाड़ी चलाकर पिता का शव घर लाए थे शाहरूख, फिर बोले ऐसी मौत नहीं मरना चाहता

2 नंबवर 1965 को एसआरके के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा उन्हें किंग ऑफ बॉलीवुड, किंग ऑफ रोमांस के नाम से भी जाना जाता है। अब तक शाहरूख खान बॉलीवुड की अलग अलग तरह की लगभग 75 फिल्मों में नजर आ चुके हैं।
उन्होनें अपने एक्टिंग की शुरूआत दूरदर्शन के सीरियल्स से की थी। जहां उनके एक्टिंग को असली पहचान मिली। 1992 में फिल्म दीवाना से बॉलीवुड में कदम रखा। और पहली ही फिल्म में उन्होनें क्रिटिक्स का दिल जीत लिया। उन्हें दीवाना में बेहतरीन अभिनय के लिए फिल्मफेयर अवार्ड दिया गया। अब शाहरूख खान को कई फिल्म मिलने लगी थी। लेकिन शाहरूख खान को उनके हीरो से ज्यादा विलेन के किरादारों के रूप में पहचान मिली। उन्होनें डर, अंजाम, बाजीगर जैसी फिल्मों में एंटी हीरो का किरदार निभाया। यहां भी उन्हें बराबर सराहना मिली।
लेकिन शाहरूख खान के करियर को अभी भी एक लैंडमार्क फिल्म की तलाश जो उन्हें दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे के रूप में मिली। शाहरूख की इस फिल्म ने बॉलीवुड में लव स्टोरी के मायने बदल दिये। कुछ क्रिटिक इसे ऋषि कपूर की फिल्म बॉबी के बाद सबसे सुपरहिट लव स्टोरी भी मानते हैं।
लेकिन एक बड़ा आदमी बनने की प्रेरणा शाहरूख को उनके पिता से मिली। हिंदी सिनेमा जगत में आने से पहले शाहरूख एक आम इंसान की तरह जीवन जीते थे। शाहरूख का जन्म एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। शाहरूख ने अपने पिता की मौत के बाद के दौर को अपने जीवन का सबसे कठिन समय मांगते हैं।
शाहरूख के पिता का नाम मीर ताज मोहम्मद था। जब शाहरुख जब महज 15 साल के थे तभी उनके पिता की मौत हो गई थी। उनके पिता को कैंसर जैसी गंभीर बीमारी थी। शाहरुख ने एक इंटरव्यू में बताया था कि वे अपने पिता का शव खुद गाड़ी चलाकर घर लाए थे। जबकि उन्हें उस समय गाड़ी चलाना नहीं आता था। दरअसल ड्राइवर ने उस समय शाहरूख के पिता की पार्थिव देह को गाड़ी चलाकर घर ले जाने से मना कर दिया था। तब शाहरूख ने खुद ये जिम्मेदारी उठाई थी।
शाहरूख ने इंटरव्यू में कहा था कि वह अपने पिता की तरह नहीं मरना चाहते। इसलिए उऩ्होनें एक्टिंग को अपने करियर के रूप में चुना।
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